कनाडा बन गया है खालिस्तान का गढ़! जानें क्यों बोले विदेश मंत्री

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा को जमकर लताड़ लगाई थी. उन्होंने कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो को करारा जवाब देते हुए कहा था कि राजनीतिक सुविधा किसी देश का आतंकवाद या उग्रवाद के प्रति किसी देश के रवैया का निर्धारण नहीं कर सकता है. विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कई सवाल उठाए और कनाडा के रवैये पर प्रश्न उठाते हुए करारा जवाब देते हुए कहा कि कनाडा खालिस्तान का गढ़ बन गया है.

एनआईए के ये दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते हैं कि कैसे कनाडा खालिस्तानी आतंकियों के लिए भारत विरोधी साजिशों का लॉचिंग पेड बन गया है और वहां से अलगाववादियों को मदद मिलती है.

यहां जानें कुछ अहम खुलासे:-

एनआईए की जांच में साफ हो चुका है कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल मुख्य तौर पर यूरोप और नार्थ अमेरिका में रहने वाले सिख समुदाय से फण्ड इक्कठा करता है.
बब्बर खालसा इंटरनेशनल ने कनाडा में अलग-अलग शहरों में सिख रैलियों और प्रदर्शन के जरिये भी फण्ड इकठ्ठा किया. इस फंड का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने में किया गया.
एनआईए ने अपनी तफ्तीश में सबसे बड़ा खुलासा ये किया कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल का संबंध डॉन दाऊद इब्राहिम से भी हैं, जिसके पुख्ता सबूत भारतीय जांच एजेंसी के पास मौजूद हैं.
NIA की जांच में ये भी पता चला कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल ने दाऊद इब्राहिम के जरिये पाकिस्तानी आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तय्यब और इंडियन मुजाहिद्दीन की मदद से भारत के खिलाफ साजिश को अंजाम दिया.
साल 2002 में बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लखबीर सिंह के करीबी इक़बाल बंटी को अब्दुल करीम टुंडा करांची में दाऊद के बंगले पर भी लेकर गया था जहां इनके बीच भारत के खिलाफ साजिशों को अंजाम देने को लेकर एक मीटिंग हुई थी
NIA की जांच में ये भी सामने आया है कि बब्बर खालसा इंटरनेशनल के तार पाकिस्तान के अलावा नार्थ अमेरिका, यूरोप और स्कैंडेनेविया तक फैले हैं.
साथ ही, बब्बर खालसा का नेटवर्क यूएस, कनाडा, यूके, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, नोवत और स्विट्जरलैंड तक फैला है. बब्बर खालसा पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की मदद से भारत के खिलाफ अपने ऑपरेशन को अंजाम दे रहा है.
जांच में ये भी सामने आया कि पाकिस्तान में मौजूद बब्बर खालसा इंटरनेशनल का चीफ वाधवा सिंह और गैंगस्टर से आतंकी बने.
हरिंदर सिंह रिन्दा दोनों ISI के इशारे पर बब्बर खालसा की कमान संभाले हुए हैं और साल 2020 से हिंदुस्तान के खिलाफ पूरी तरह एक्टिव हैं.

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