राम और रामायण के बिना अधूरी है शिक्षा मंत्री की सियासत, ‘मिशन’ पर हैं तेजस्वी यादव के खास चंद्रशेखर?

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पटना: लगता है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की राजनीति राम और रामायण के बिना नहीं चल सकती। साल भर से वे राम और रामायण के पीछे पड़े हुए हैं। अब तो वे यह भी कबूल करने लगे हैं कि राम उनके सपने में आए थे। राम हों, तुलसी दास हों या उनकी रचना रामायण हो, चंद्रशेखर उन्हें किसी न किसी बहाने निशाने पर लेते रहे हैं। दरअसल, चंद्रशेखर को यह पता है कि राम के नाम पर बीजेपी की ताकत बढ़ती रही है। राम का विरोध करने पर उन्हें हिन्दुओं में एक नये समर्थक तबके के उभरने की उम्मीद दिख रही है। हालांकि उनके निशाने पर मूल रूप से भाजपा और आरएसएस होते हैं। ऐसा कहते-बोलते समय वे भूल जाते हैं कि भाजपा ने राम को आराध्य मान कर ही अपने सियासी मिशन में कामयाबी पाई है, न कि राम का विरोध कर। संभव है कि हिन्दू धर्मग्रंथों का विरोध कर वे मुस्लिम समाज को एकजुट करना चाहते हों, ताकि उनका एकमुश्त वोट विपक्षी गठबंधन के पक्ष में जाए।

पहले जानिए कि क्या कहा है चंद्रशेखर ने
‘भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए, लेकिन आज शबरी का बेटा मंदिर नहीं जा सकता। यह दुखद है। राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को रोक दिया जाता है। गंगा जल से धोया जाता है। भगवान राम ने शबरी का जूठा खाकर संदेश दिया था। भगवान भी जाति व्यवस्था से कुपित थे। भगवान ने सोचा होगा कि हम खा लेंगे तो दुनिया खाने लगेगी, लेकिन उन्हें अकेले छोड़ दिया गया। खाली धूप-बत्ती दिखा कर उन्हें छोड़ दिया जाता है। उनका अनुकरण नहीं किया जाता। बाबा धर्मराज मर्यादा पुरुषोत्तम थे, जिन्होंने जाति व्यवस्था को खत्म करने का संदेश दिया। मैंने तो केवल एक बार बोला, लेकिन मोहन भागवत ने दो बार बोला। कुछ लोगों ने हमारी जीभ काटने पर 10 करोड़ इनाम रख दिया, लेकिन मोहन भागवत के विरोध में 10 रुपये का भी इनाम नहीं रखा।’

चंद्रशेखर के बयान पर RJD में एका नहीं
यह पहला मौका नहीं है, जब चंद्रशेखर ने राम, रामायण, तुलसी समेत हिन्दू धर्मग्रंथों के खिलाफ बोला हो। पिछले साल नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में चंद्रशेखर ने कहा था कि रामचरित मानस और मनुस्मृति नफरती ग्रंथ हैं। इस पर काफी विवाद भी हुआ था। सीएम नीतीश कुमार ने भी उन्हें टोका था, लेकिन उनकी विवादित बयानबाजी पर कोई असर नहीं पड़ा। एक वक्त तो आरजेडी कार्यालय में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी में भी इस मुद्दे पर ठन गई थी। जगदानंद ने चंद्रशेखर के बयान का समर्थन किया और शिवानंद ने विरोध। शिवानंद तिवारी ने तर्क दिया कि समाजवादी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर राम मनोहर लोहिया रामायण मेला लगवाते थे और पार्टी के नेता उसी रामायण के बारे में ऐसी बयानबाजी करें, यह ठीक नहीं है।

कहीं यह आरजेडी की स्ट्रेटजी तो नहीं !
आश्चर्य इस बात पर होता है कि जिस दल का प्रमुख मंदिरों में जाकर मत्था टेक रहा हो, उसी दल का कोई नेता उसके आराध्य के बारे में विवादित टिप्पणी करे। लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी हाल के दिनों में कई मंदिरों में जा चुके हैं। यह भी हो सकता है कि मुस्लिम वोटरों को आकर्षित करने के लिए आरजेडी ने चंद्रशेखर को इस तरह की बयानबाजी की छूट दे रखी हो और हिन्दू वोटरों की नाराजगी से बचने के लिए लालू यादव धार्मिक बनने का स्वांग रच रहे हों। वैसे लालू के बारे में यह सर्वविदित है कि हिन्दू पर्व-त्योहारों से लेकर पूजा-पाठ तक उनके जीवन का हिस्सा रहे हैं। वे तो बाबाओं के यहां भी चक्कर लगाते रहे हैं।

सनातन विवाद के बीच मंत्री का बयान
हाल ही में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन को डेंगू-मलेरिया से भी खतरनाक बता कर उसे खत्म करने की सलाह दी थी। उसके बाद उनकी ही पार्टी के सांसद ए राजा ने सनातन की तुलना खतरनाक बीमारी एचआईवी (HIV) से कर दी। स्टालिन की पार्टी डीएमके विपक्षी दलों के नवनिर्मित गठबंधन INDIA का हिस्सा है। हालांकि उनके इस तरह के बयान से INDIA में शामिल कांग्रेस, टीएमसी और जेडीयू जैसे दलों ने पल्ला झाड़ लिया। आरजेडी नेता और बिहार के डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने भी चंद्रशेखर को ऐसी बयानबाजी से बचने की सलाह दी, लेकिन चंद्रशेखर पर कोई फर्क नहीं पड़ा। जेडीयू तो चंद्रशेखर के बयान पर पहले ही आपत्ति जता चुकी है।

बीजेपी की मदद कर रहे INDIA के नेता
भाजपा को खारिज करने के बहाने हिन्दुत्व, हिन्दू धर्मग्रंथों और हिन्दुओं के आराध्य के प्रति INDIA के नेता ऐसे बयान देकर हिन्दू वोटरों को एकजुट करने में उसकी मदद ही कर रहे हैं। भाजपा भी जानती है कि राम के सहारे ही उसने अब तक सफलता के सोपान चढ़े हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने में दो सांसदों वाली भाजपा आज 300 से अधिक सांसदों वाली पार्टी बन गई है तो इसके पीछे राम का ही उसे सहारा रहा है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का भाजपा ने अभियान छेड़ा और उसकी स्थिति लगातार मजबूत होती गई। इस बार विपक्ष के एकजुट होने से उसे नुकसान की आशंका बनी है, लेकिन उस खतरे को टालने में विपक्षी दलों के नेताओं के ऐसे बयानों से मदद ही मिलेगी।

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