Somvati Amavsya: सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है. इस बार सावन मास के सोमवार को पड़ रही है. सावन मास में पड़ने वाले अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहा जाता हैं. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सावन महीने का सोमवार भगवान शिव को समर्पित हैं. ऐसे में सावन में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है.
20 साल बाद बना रहा यह योग
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन किया गया स्नान, ध्यान, जप और दान बहुत ही फलदायी होता है. जानकार बता रहे हैं कि 20 साल बाद ऐसा सुयोग बन रहा है कि सावन के सोमवार के दिन ही अमावस्या है और सारे दिन ही अमावस्या पर्व है। इससे पहले साल 2000 में 32 जुलाई को सावन महीने में सोमवती अमावस्या पड़ी थी.
सोमवती अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 20 जुलाई की रात 12 बजकर 10 मिनट पर
अमावस्या तिथि समाप्त- 20 जुलाई की रात 11 बजकर 02 मिनट पर
गंगा स्नान का खास महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान और दान का बहुत ही महत्व है लेकिन इस साल कोरोना के कारण गंगा स्नान संभव नहीं है. इस स्थिति में लोग अपने घरों में ही नहाने के जल में थोड़ा गंगा जल मिला कर स्नान कर लें, स्नान करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करें…
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।
नर्मदे सिंधु कावेरि जले ऽस्मिन् सन्निधिं कुरुम ।।
रखा जाता है मौन व्रत
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से सहस्त्र गोदान के बराबर फल की प्राप्ती होता है. हालांकि यह यह करने सबके लिए संभव नहीं है। ऐसे में अगर संभव हो ते एक प्रहर व्रत जरूर रखें. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 1 दिन में 8 प्रहार होते हैं. यानी 3 घंटे मौन व्रत रखें. अगर ये भी संभव ना हो तो 1 मुहूर्त अर्थात 2 घड़ी कहते यानी 48 मिनट मौन व्रत जरूर रखना चाहिए.
इस दिन महिलाएं रखती हैं व्रत
सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाए व्रत रखती है. इस दिन महिलाए पीपल की पूजा और परिक्रमा करती है. इसके अलावा इस दिन पितरों को जल देने अथवा पिंडदान करने से तृप्ति मिलती है. इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करने का भी प्रवधान है.