Chandra Grahan 2020: 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा दिवस के रूप में जाना जाता है. परम्परागत रूप से यह दिन गुरु पूजन के लिये निर्धारित है. इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं.
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, साल के तीसरे चंद्र ग्रहण पर गज केसरी योग बन रहा है. इस दौरान चंद्रमा और गुरु धनु राशि में होंगे. एक राशि में दोनों ग्रहों की युति गज केसरी योग बनाती है. मिथुन, कर्क, वृश्चिक, धनु और मकर राशि के जातकों को चंद्र ग्रहण पर गज केसरी योग का ज्यादा लाभ मिलेगा.
इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. यह तीसरा साल है जब गुरु पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है. 5 मई को लगने वाला चंद्रग्रहण उपछाया होगा, जो भारत में नजर नहीं आएगा. इसलिए ग्रहण से पहले सूतक काल मान्य नहीं होगा.
- चंद्र ग्रहण आरंभ: 08.38 सुबह
- परमग्रास चन्द्र ग्रहण: 09.59 सुबह
- चंद्र ग्रहण समाप्त: 11.21 सुबह
चंद्रग्रहण का असर
गुरु पूर्णिमा यानी 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं होगा, क्योंकि यह एक उपछाया चंद्रग्रहण है और यहां दिखाई भी नहीं देगा. यह ग्रहण धनु राशि पर लगने वाला है तो इस दौरान धनु राशि वाले लोगों का मन कुछ अशांत रह सकता है.
क्या होता है उपछाया
उपछाया चन्द्रग्रहण के दौरान सूरज और चंद्रमा के बीच जब पृथ्वी घूमते हुए आती है, तो यह तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं. इस स्थिति में चंद्रमा की छोटी सी सतह पर ‘अंब्र’ नहीं पड़ती है. ‘अंब्र’ पृथ्वी के बीच से पड़ने वाली छाया को कहा जाता है. चंद्रमा के शेष हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है, इस कारण ही इसे उपछाया कहा जाता है.