सावन का महीना भगवान शिव का महीना माना जाता है. इस महीने में पड़ने वाले हर सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है. अगर सावन महीने में शनि प्रदोष पड़ता है तो उसका ज्यादा महत्व माना जाता है. 1 अगस्त को शनिवार के दिन प्रदोष तिथि है और सावन का महीना भी है. आज का दिन शनि प्रदोष होने से भगवान शिव और शनिदेव दोनों की कृपा एक साथ मिलेगी.
शास्त्रों के अनुसार, हर प्रदोष का अपना अलग महत्व होता है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को अर्क प्रदोष, सोमवार के दिन सोम प्रदोष, मंगलवार के दिन भौम प्रदोष, शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष वर्त कहते हैं. इस सभी प्रदोषों का अपना अलग महत्व है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष का महत्व…
शनि प्रदोष का महत्व
शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से वह शनि प्रदोष कहलाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद भी मिलता है. इसके अलावा अगर किसी जातक की कुंडली में शनि से संबंधित कोई दोष होते हैं तो वो भी इस दिन पूजा आराधना करने से दूर हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पीपल की पूजा करना बहुत अच्छा माना जाता है.
सावन के आखिरी शनि प्रदोष के दिन क्या करना चाहिए
- शनि प्रदोष के दिन व्रत रखें और भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद काले कपड़े में काला उडद, दो लड्डू, कोयला और लोहे की कील लपेटकर बहते साफ पानी में प्रवाहित करें.
- शनिवार के दिन काले कुत्ते को तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं. इस उपाय को करने से आर्थिक समस्या का समाधान होगा.
- आज के दिन एक कटोरी तिल के तेल में अपना चेहरा देखें और फिर उसे किसी व्यक्ति को दान कर दें. माना जाता है कि इस उपाय को करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं.