इंदौर. टैंकरों से लेकर ड्रोन तक, इंदौर नगर निगम ( indore municipal corporation ) सार्वजनिक स्थानों को सैनिटाइज करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए हर दिन 75,000 से 1 लाख रुपये प्रति दिन खर्च कर दी है। लेकिन विशेषज्ञों ने इंदौर नगर निगम के इस अभियान पर सवाल उठाया है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि वायरस हवा में नहीं रहता है। इसलिए, सड़क और पेड़ को सैनिटाइज करना सिर्फ पैसे और समय की बर्बादी है। सेंट्रल कोविड टीम के सदस्य डॉ जुगल किशोर ने कहा कि बेहतर परिणाम और समाधान के लिए कई रसायनों से तैयार इस लिक्विड का प्रयोग हमें घरों में फर्श, टेबल, चेयर, हैंडलबार और सीढ़ी की रेलिंग पर की जानी चाहिए। इसे हमलोग बार-बार छूते हैं। उन्होंने यह सुझाव भी दिया है कि शहर में बेतरतीब तरीके से छिड़काव न कर, इसे लोगों में वितरित किया जाना चाहिए।
500 लोग इस काम में हैं लगे
इंदौर नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी अखिलेश उपाध्याय ने कहा कि इस काम के लिए स्थानीय निकाय 52 ट्रैक्टर, 16 मिस्ट ब्लोअर्स, 5 प्रेशर जेट्स, 300 हैंड हेल्ड्स मशीन के साथ 19 प्रेशर टैंकर हर दिन 700 लीटर लिक्विड का छिड़काव कर रहे हैं। इस काम में 500 वर्कर्स लगे हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस काम में हर दिन 70 हजार से 1 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इंदौर नगर निगम के आयुक्त रजनीश कसेरा के अनुसार बड़े वाहनों का प्रयोग हम लोग घर के बाहरी हिस्सों को सैनिटाइज करने के लिए करते हैं। हैंड हेल्ड मशीन का प्रयोग वाहन और घर के अंदर सैनिटाइज करने के लिए करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम लोग नियमित तौर पर कब्रिस्तान, श्मशान, ऑफिस, एंबुलेंस और अन्य वाहनों को सैनिटाइज करते हैं। निगम अधिकारी के अनुसार इन चीजों के लिए हमें कोई विशेष दिशा-निर्देश नहीं है कि कहां इसका छिड़काव किया जाए, इसे लेकर सिर्फ सामान्य निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
वहीं, विशेषज्ञों का दावा है कि अगर टेबल, कुर्सी, हैंडलबार और सीढ़ी-रेलिंग सहित अन्य वस्तुओं को वायरस रहित करने के लिए इस लिक्विड को हम स्थानीय लोगों में वितरित करते तो इसका प्रयोग अच्छा होता है। रतलाम मेडिकल कॉलेज के डीम डॉ संजय दीक्षित ने कहा कि इमारतों या सड़कों की बाहरी सतह को साफ करने की बजाए, वायरस को मारने के लिए हमें घरों के अंदर स्वच्छता रखना है।