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    शादी के 40 दिन बाद INS विक्रमादित्य पर पति शहीद, पत्नी अब आर्मी में बनेगी अफसर

    Dec 21, 2020

    शादी के बाद लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान ने ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी। पोत कर्नाटक के कारवाड़ बंदरगाह पर पहुंच रहा था। उससे पहले उसमें आग लग गई थी। पोत को कोई नुकसान नहीं हो इसके लिए लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान ने अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया था। आग बुझाने के दौरान वह शहीद हो गए थे। लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान की वजह से आग से युद्धपोत की युद्धक क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ा था। 26 अप्रैल 2019 को नेवी अफसरों ने लेफ्टिनेंट चौहान की शहादत की खबर परिवार वालों को दी थी। उसके बाद घर में कोहराम मच गया था।

    माता-पिता के इकलौते संतान थे धर्मेंद्र

    शहीद लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान का परिवार एमपी के रतलाम में रहता है। वह माता-पिता के इकलौते संतान थे। शादी से कुछ दिन पहले ही शहर में नए घर का निर्माण करवाया था। जहां अब मां टमा कुंवर रहती हैं। शहीद धर्मेंद्र सिंह चौहान का शव जब घर पहुंचा था, तब मां कहती थी कि बहुत क्यूट है मेरा बेटा। वो रियल हीरो था। धर्मेंद्र की सास ने मां को बेटे के घायल होने की खबर दी थी।

    प्रोफेसर थी करुणा चौहान

    वहीं, शहीद लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान की पत्नी करुणा आगरा के दयालबाग यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर थी। वह शादी के बाद बहुत खुश थी। अब करुणा चौहान ने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ इंडियन आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया है। करुणा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि जब मुझे हादसे की खबर मिली, तो विश्वास करना बहुत मुश्किल था कि मैंने शादी के सिर्फ 40 दिनों के बाद धर्मेंद्र को खो दिया था। मैं उस समय रतलाम में अपने ससुराल में था।

    5 करीबियों को खो चुका था

    करुणा ने कहा कि मुझे लगता है कि उस दौर में भगवान मुझे परख रहे थे क्योंकि मैंने बहुत कम समय में अपने 5 करीबियों को खो दिया था और मुझे लगा कि भगवान ने मुझे किसी महान कार्य और जिम्मेदारी के लिए चुना है। हर लड़की की तरह शादी और करियर को लेकर मैंने भी कुछ सपने देखे थे। मैं प्रोफेसर थी और सही जीवन साथी के रूप में धर्मेंद्र को पाया था। लेकिन सब कुछ एक सेकंड में बिखर गया।

    टूट गई थी मैं

    करुणा चौहान ने कहा कि कुछ समय के लिए मैं टूट गई थी। लेकिन सास टीना कुंवर चौहान और मां कृष्णा सिंह के शब्दों ने मेरी भावना को फिर से जगा दिया। ग्रुप कैप्टन इरफान खान मुझे सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करने वाले पहले व्यक्ति हैं, वह रतलाम में जिला सैनिक कल्याण संगठन के प्रमुख हैं। उनसे प्रेरित होकर इंदौर में करीबी पारिवारिक मित्र कर्नल निखिल दीवान जी के पास गईं, जिनके मार्गदर्शन में एसएसबी इंटरव्यू के लिए तैयारी शुरू की।

    सिर्फ होता है इंटरव्यू

    शहीद लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान की पत्नी करुणा चौहान ने बताया कि सशस्त्र बलों में प्रावधान है कि वीर नारी (शहीदों की विधवा) को लिखित परीक्षा में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें सीधे इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता था। मुझे सितंबर में एसएसबी भोपाल में पहली बार इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, लेकिन चयन नहीं हुआ। मैं 27 अक्टूबर को फिर से इंटरव्यू के लिए उपस्थित हुआ और सभी चीजों को पार करते हुए मैं व्यक्तिगत इंटरव्यू तक पहुंचने में सक्षम रहा।

    55 मिनट तक चला इंटरव्यू

    वहीं, करुणा चौहान का फाइनल इंटरव्यू करीब 55 मिनट तक चला है। शायद यह सभी उम्मीदवारों से सबसे लंबा था। ऐसा इसलिए हुआ कि मैं प्रोफेसर हूं और मेरे पति नेवी में थे लेकिन मैं आर्मी में क्यों अफसर बनना चाहती हूं। इंटरव्यू में सब कुछ अच्छा रहा और मैं सफल हो गई। वहीं, करुणा को चयन को लेकर दिवाली के समय मेल आया था। वह 7 जनवरी 2021 को 11 महीने के सैन्य ट्रेनिंग के लिए चेन्नै ओटीए में शामिल होगी। साथ ही सेना को क्यों चुना के सवाल पर करुणा कहती हैं कि वह एक सेना अधिकारी के रूप में देश भर में सेवा करना चाहती हैं।