Kolkata. स्कूल फीस का भुगतान नहीं कर पाने पर छात्रों को बोर्ड की परीक्षा देने से वंचित नहीं किया जा सकता. निजी स्कूलों की फीस वृद्धि के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण निर्देश दिया है.
न्यायाधीश संजीव बंद्योपाध्याय व न्यायाधीश मौसमी भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि आर्थिक रूप से असमर्थ हो जाने के कारण अगर कोई अभिभावक स्कूल फीस का भुगतान कर पाने में असमर्थ हैं तो उनके बच्चे को परीक्षा में नहीं बैठने देकर उसका एक साल बर्बाद नहीं किया जा सकता और स्कूल प्रबंधनों को ही यह सुनिश्चित करना होगा.
खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में आगे और भी विस्तार से निर्देश दिया जाएगा- स्कूल की तरफ से फीस में कितने फीसद की छूट दी जाएगी, हाईकोर्ट ने पहले यह फैसला शिक्षकों और अभिभावकों के प्रतिनिधियों को लेकर गठित की गई कमेटी पर छोड़ दिया था, लेकिन बाद में देखा गया कि इस पद्धति से फीस का निर्धारण करने में असुविधा हो रही है.
कमेटी में शामिल अभिभावकों में मतभेद देखा जा रहा है. अदालत ने इस मामले में कहा कि फीस माफ करने को लेकर 145 स्कूल प्रबंधन एक समग्र नीति व मानदंड को मानने को राजी हुए हैं. इस बाबत तीन स्कीम बताई जाएंगी, जिनमें से एक का चयन करना होगा. मामले पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी.