औरंगाबाद ट्रेन हादसे में एमपी के 16 मजदूरों की जान चली गई। इसमें सबसे ज्यादा शहडोल के मजदूर हैं। इसमें अंतौली ग्राम के सबसे ज्यादा मजदूर थे। रविवार को मृतक मजदूरों का उनके गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर प्रशासन के बड़े अधिकारी भी वहां पहुंचे थे। शहडोल संभाग के कमिश्नर डॉ भार्गव ने भी मृतक के परिजनों से मुलाकात की।
वहीं, मुआवजे की राशि जब अधिकारी परिजन को देन लगे, तो एक पल ने सभी को भावुक कर दिया। मृतक मजदूर दीपक के परिजनों ने अधिकारियों से कहा कि साहब, हम पैसे लेकर क्या करेंगे। दीपक का एक बच्चा ही, उसकी निशानी है। इसे पढ़ा लिखाकर एक नौकरी दिलवा दो, ताकि ये मजदूर नहीं बन सके। परिजनों की बात सुनकर अधिकारी भी भावुक हो गए।
बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा
दरअसल, अंतिम संस्कार के बाद रविवार को अधिकारी अंतौली गांव मुआवजा की राशि देने पहुंचे। अधिकारियों को देखते ही परिजन फिर से बिलखने लगे। दीपक के पिता उसके डेढ़ साल के बच्चे को गोद में लेकर बैठे थे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि बेटे की आखिरी निशानी है। अब हम लोग नहीं चाहते कि यह भी उसी की तरह गांव छोड़कर मजदूरी करने जाए। साथ ही चेक लेने को तैयार नहीं थे। अधिकारियों की समझाइश के बाद वह चेक लिए।
इकलौता बेटा था दीपक
मृतक दीपक के पिता ने कहा कि आर्थिक तंगी की वजह से वह महाराष्ट्र गया था। वहीं, बुढ़ापे का सहारा था। उसकी शादी 2018 में ही हुई थी। अभी अधिकारी मदद के लिए आ रहे हैं, पहले यहीं कहते थे कि तुम्हारा 2 एकड़ जमीन है। बीपीएल कार्ड नहीं बनेगा। जिसकी वजह से हम लोगों को राशन नहीं मिलता था। रोजगार होता तो दीपक वहां नौकरी करने नहीं जाता।
गांव में पसरा है सन्नाटा
अंतौली गांव में हादसे के 3 दिन बाद भी सन्नाटा पसरा हुआ है। कई घरों में चूल्हा नहीं जला है। प्रशासन के अधिकारियों के साथ-साथ रिश्तेदार भी आकर परिजनों का हौसला बढ़ा रहे हैं। शव कई टुकड़े में बंटे थे, इसलिए गांव में ही दफनाया गया है।
5-5 लाख मुआवजा
गौरतलब है कि औरंगाबाद ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों के लिए शिवराज सरकार ने 5-5 लाख रुपये मुआवजा का ऐलान किया है। मजदूरों के अंतिम संस्कार के बाद अधिकारी उनके परिजनों तक रविवार को चेक पहुंचाने गए थे। इसके साथ ही दूसरे प्रदेशों में फंसे मजदूरों को लाने की कवायद तेज हो गई है।