नौकरीपेशा लोगों को कंपनी बदलने पर पीएफ की तरह ग्रैच्युटी ट्रांसफर का मौका मिल सकता है। इसके साथ ही किसी कंपनी में आप जितना समय भी काम करते हैं तब तक का ग्रैच्युटी आपको लेने का अधिकार मिल सकता है। एक बिजनेस चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, लेबर रिफॉर्म के तहत सरकार ने इस प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है।
आसान भाषा में समझें तो किसी कंपनी में लगातार कई साल तक काम करने वाले कर्मचारी को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा जो पैसा मिलता है, उसे ग्रेच्युटी कहते हैं। दरअसल, इसका एक छोटा सा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन ग्रेच्युटी का बड़ा हिस्सा कंपनी अपनी तरफ से देती है। यह एक तरह से कंपनी का लॉन्ग टर्म बेनिफिट की तरह होता है।
क्या है सरकार की तैयारी
- पीएफ की तरह हर महीने ग्रैच्युटी कॉन्ट्रिब्यूशन का प्रस्ताव दिया गया है। ग्रैच्युटी को भी वैध रूप से CTC का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव है।
- रिपोर्ट के मुताबिक लेबर मिनिस्ट्री ने प्रस्ताव पर काम शुरू किया है। एम्प्लॉयर एसोसिएशन के साथ बैठक में चर्चा हुई है।
- ट्रस्ट के तहत ग्रैच्युटी को भी लाने पर विचार हो रहा है। हालांकि ग्रैच्युटी मिलने का न्यूनतम समय एक साल तय होगा।
- अभी सिर्फ अस्थाई कर्मचारियों के लिए एक साल की घोषणा की गई है। टैक्स लाभ नए स्ट्रक्चर से कंपनियों को मिल सकता है। मासिक कॉन्ट्रिब्यूशन से कंपनियों को एक मुश्त रकम देने की जरूरत नहीं होगी।
अभी कब मिलती है ग्रेच्युटी
किसी भी कंपनी में एक तय समय तक काम करने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी दी जाती है। मौजूदा नियमों के मुताबिक, ग्रेच्युटी का हकदार होने के लिए कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में काम करना होता है।
मीडिया रिपोर्ट्स में इसी समय सीमा को 5 साल से घटाकर 1 साल करने की बात हो रही है। ग्रेच्युटी एक्ट के मुताबिक, जिस कंपनी में 10 या उससे अधिक कर्मचारी होते हैं, उस कंपनी के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है। ग्रेच्युटी का भुगतान कंपनी ही करती है।
किसी भी कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी प्रमुख तौर पर दो बातों पर निर्भर करती है। पहली तो यह कि उस कर्मचारी ने कितने साल तक काम किया है और दूसरी यह कि उसकी अंतिम सैलरी में बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता कितना है।